आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिन्दी समालोचना के युगपुरुष हैं। वे हिन्दी साहित्य में प्रौढ़ समालोचना के जन्मदाता हैं। शुक्ल जी के साहित्यिक आलोचना के प्रभाव को इस बात से भी आँका जा सकता है कि हिन्दी आलोचना के इतिहास को तिन भागों में विद्वानों ने विभक्त किया है- १.शुक्ल्पुर्व आलोचना, २.शुक्ल युगीन आलोचना तथा ३.शुक्लोत्तर आलोचना। उनके पूर्व बाल मुकुंद गुप्त तथा अन्य विद्वानों ने यद्यपि इस क्षेत्र में कार्य किया था परन्तु वैज्ञानिक समीक्षा पद्यति को शुक्ल जी ने ही प्रौढ़ता प्रदान किया एवं हिन्दी आलोचना को एक नई दिशा दिखाने का कार्य किया।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने मुख्यतः तुलसीदास, सूरदास एवं जायसी की रचनाओं पर समीक्षा प्रस्तुत किया तथा इन कवियों की रचनाओं का मूल्यांकन किया तथापि तुलसीदास उनके प्रिय कवि थे जिसका कारण तुलसीदास का भक्ति के साथ लोक के समन्वय की विशिष्टता थी। शुक्ल जी रसवादी समालोचक थे तथा प्रतिभा युक्त नैतिकवादी साहित्यकार। इसी कारण शुक्ल जी ने रचनाओं को सर्वदा लोक-तत्त्व की भावभूमि पर परखने का प्रयास किया। इसी सन्दर्भ में तुलसी उनके प्रिय रचनाकार बने।
समालोचना सम्बन्धी उनके साहित्य हिन्दी के अमूल्य थाती हैं। 'रस मीमांसा', जायसी, सूरदास तथा तुलसी की समीक्षाएं, सैधांतिक समीक्षा सम्बन्धी निबंध ( कविता क्या है?, काव्य में लोक मंगल की साधनावस्था, रसात्मक बोध के विविध रूप, काव्य में प्राकृतिक दृश्य इत्यादि) एवं व्यावहारिक समीक्षा सम्बन्धी निबंध (भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसी का भक्ति मार्ग, मानस की धर्मभूमि, काव्य में रहस्यवाद आदि) शुक्ल जी के द्वारा प्रदान किए गए हिन्दी साहित्य के अनमोल रत्न हैं।
तुलसी, सुर एवं जायसी जैसे मध्यकालीन कवियों का गंभीर मूल्यांकन कर शुक्ल जी ने एक और व्यावहारिक आलोचना का आदर्श प्रस्तुत किया वहीं 'चिंतामणि' और ''रस मीमांसा' जैसे ग्रंथों से सैद्धांतिक आलोचना को नई ऊंचाई प्रदान किया। अपने सैद्धांतिक समीक्षा सम्बन्धी निबंधों के द्वारा शुक्ल जी ने अपनी काव्यशास्त्रीय मेधा तथा भारतीय एवं पाश्चात्य काव्य शास्त्र के गंभीर ज्ञान तथा व्यापक लोकानुभव का प्रमाण दिया है।
वस्तुतः हिन्दी समालोचना के क्षेत्र में आचार्य शुक्ल पथ-प्रदर्शक बने। उन्होंने व्यावहारिक के साथ-साथ सैद्धांतिक एवं शास्त्रीय समालोचना के भी नए प्रतिमान प्रस्तुत किए। साथ ही उन्होंने हिन्दी की सैद्धांतिक आलोचना को पश्चिम तथा सामान्य विवेचन के धरातल से उठाकर गंभीर मूल्यांकन एवं व्यावहारिक सिधांत प्रतिपादन की उच्च भूमि प्रदान की।
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3 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी जानकारी दी है। विस्तार से मूल्यांकन की उम्मीद रहेगी
aapkaa prayaasa saraahaniya hai.
nayi pidi ke liye prerana shrota bhee
hindi ki khatir aapne ek acchhi koshish ki hai
hamne bhi kuchh sikh liya
dhanyawad
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